नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने PoK का नाम लिए बिना कहा कि जो हमने गंवाया वो जल्द हासिल कर लेंगे। शाह ने यह भी कहा कि अगर भारत को समझना है तो भारतीय दृष्टिकोण और हमारे देश को जोड़ने वाले तथ्यों को समझना होगा।
उन्होंने इतिहास से हुई छेड़छाड़ के बारे में खुलकर अपनी बात रखी। शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इतिहास के साथ यही हुआ। यहां किसने शासन किया, कौन रहा, किसने क्या अनुबंध किया… इसके आधार पर तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया। कश्मीर कहां था और लद्दाख कहां था… इसकी मीमांसा करना मेरे हिसाब से बेमानी है।
उन्होंने कहा कि भारत के कोने-कोने में जो संस्कृति, भाषा, हमारी लिपियां, अध्यात्म के विचार, तीर्थस्थलों की कला, व्यापार और वाणिज्य बिखरा पड़ा है, वो कम से कम 10 हजार साल से कश्मीर में उपस्थित है। वहीं से देश के बहुत सारे हिस्से में आया। जब यह बात सिद्ध होती है तो कश्मीर का भारत के साथ जुड़ाव का प्रश्न ही बेमानी हो जाता है।
उन्होंने कहा कि लगभग 8000 साल पुराने ग्रंथों में कश्मीर और झेलम का जिक्र है। तब यह कोई नहीं कह सकता कि कश्मीर किसका है। कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग पहले भी था। आज भी है और हमेशा रहेगा। इसे कोई कानून की धाराओं से अलग नहीं कर सकता है। कानून की धारा का इस्तेमाल करके प्रयास भी किया गया था। आखिर में उस धारा को निरस्त कर दिया गया और सभी बाधाओं को दूर कर दिया गया।
शाह ने कहा कि हमारे देश के सभी कोनों का इतिहास हजारों साल पुराना है। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद का उद्देश्य भारत के वास्तविक इतिहास को मिटाना था। देश की एकता के बारे में एक झूठी कहानी गढ़ी गई। यह मिथक बनाया गया कि भारत कभी एकजुट नहीं था और आजाद देश का विचार ही बेमानी है। उन्होंने कहा कि उस समय कई लोगों ने इस कहानी को स्वीकार भी कर लिया था।
शाह ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान इतिहास में लिखी गई हमारे देश की परिभाषा उनके ज्ञान की कमी के कारण उपजी। दुनिया भर में देशों का अस्तित्व भू-राजनीतिक से सामने आया। इनका जन्म अक्सर युद्धों या समझौतों द्वारा निर्धारित सीमाओं से हुआ है। मगर भारत इस मायने में अद्वितीय है। भारत की एकता हमेशा इसकी संस्कृति पर आधारित रही है न कि इसकी भौगोलिक सीमाओं पर।
गृह मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो ‘भू-सांस्कृतिक’ देश है। इसकी सीमाएं संस्कृति के कारण परिभाषित की जाती हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी, गांधार से ओडिशा और बंगाल से असम तक हम अपनी संस्कृति के कारण जुड़े हैं। उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जो देशों को केवल भू-राजनीतिक नजरिए से देखते हैं।