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ओबीसी आरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान तेज, कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। इस मुद्दे पर सियासी दलों के बीच तकरार लगातार बढ़ती जा रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस पर अपने-अपने आरोप-प्रत्यारोप जारी किए हुए हैं। कांग्रेस ने जिला पंचायतों में ओबीसी आरक्षण से संबंधित आंकड़े जारी कर भाजपा को घेरा है, वहीं भाजपा ने भी कांग्रेस के दावों का पलटवार करते हुए विधानसभा चुनावों में ओबीसी उम्मीदवारों और मंत्रिमंडल में ओबीसी मंत्रियों का आंकड़ा पेश किया है।

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कांग्रेस ने जारी किया आंकड़ा, भाजपा पर हमला

छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने हाल ही में एक पोस्ट जारी करते हुए यह बताया कि 2019 में 27 जिला पंचायतों में से 7 में ओबीसी आरक्षण था, जबकि 2025 में 33 जिला पंचायतों में से किसी भी पंचायत में ओबीसी के लिए आरक्षण नहीं दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ओबीसी वर्ग को दबाने की साजिश कर रही है। पार्टी का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भाजपा का ओबीसी वर्ग के प्रति कोई वास्तविक समर्थन नहीं है और वह केवल राजनीति करने में जुटी हुई है।

भा.ज.पा. ने पलटवार करते हुए क्या कहा?

भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के आरोपों का जोरदार तरीके से जवाब दिया है। भाजपा ने कांग्रेस पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह ओबीसी हितैषी बनने का ढोंग कर रही है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस खुद यह देखे कि उसने अपने ही पार्टी में कितने ओबीसी नेताओं को टिकट दिया और मंत्रिमंडल में कितने ओबीसी विधायकों को मंत्री बनाया। भाजपा ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार 16 जुलाई 2024 को छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया था, और आयोग की रिपोर्ट को 28 अक्टूबर 2024 को स्वीकृति दे दी गई।

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