छत्तीसगढ़

10 साल में माओवादियों का प्रभाव हुआ आधा, 287 ढेर, ‘थ्री लेवल फार्म्युला’ बना नक्सलियों का काल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में माओवादियों के प्रभाव में बड़ी गिरावट आई है। एक समय 18,000 वर्ग किलोमीटर में फैला उनका इलाका अब केवल 8,500 वर्ग किलोमीटर तक सिमट गया है। जानकारों का मानना है कि वास्तविक क्षेत्र इससे भी कम हो सकता है। केंद्र और राज्य सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक माओवाद का पूरी तरह खात्मा हो।

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क्या है ‘थ्री लेवल फार्म्युला’?

माओवादियों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने तीन स्तरीय रणनीति अपनाई है:

  1. आक्रामक कार्रवाई: सुरक्षाबलों ने रक्षात्मक रवैया छोड़कर माओवादियों के गढ़ में घुसकर कार्रवाई शुरू की।
  2. बेहतर तालमेल: केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच मजबूत समन्वय स्थापित किया गया।
  3. विकास पर जोर: माओवादी प्रभावित गांवों में विकास कार्य तेज किए गए, जिससे स्थानीय लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले।

सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी

सुरक्षाबलों ने इस साल अब तक 287 माओवादियों को मुठभेड़ों में मार गिराया, 992 को गिरफ्तार किया और 837 ने आत्मसमर्पण किया। देशभर में हुई 156 मुठभेड़ों में से 112 केवल छत्तीसगढ़ में हुईं, जिनमें से 102 बस्तर इलाके में थीं।

वैज्ञानिक तरीकों से लगाई नकेल

माओवादियों पर नज़र रखने के लिए सुरक्षाबल लोकेशन ट्रैकिंग, मोबाइल डेटा और सोशल मीडिया की मदद ले रहे हैं। कॉल लॉग और फोरेंसिक जैसे आधुनिक तकनीकी साधनों का भी उपयोग किया जा रहा है। 98 करोड़ रुपये की माओवादी फंडिंग जब्त होने से उनके फंडिंग चैनल भी बंद हो गए हैं।

2026 तक माओवाद का खात्मा?

अधिकारियों के अनुसार, माओवादियों का प्रभाव अब केवल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सीमावर्ती पांच से छह जिलों तक सीमित रह गया है। सरकार की रणनीति के तहत इन क्षेत्रों को पूरी तरह सुरक्षित कर 2026 तक माओवाद को खत्म करने का लक्ष्य है।

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