कोरबा: 15वें वित्त के कार्यों में अनियमितता का खेल, पंचायतों में जांच आदेशों की अनदेखी!
कोरबा, आकांक्षी जिला होते हुए भी यहां प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। विशेष रूप से 15वें वित्त आयोग के तहत ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों को लेकर अनियमितताओं के गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि सूचना का अधिकार (RTI) भी जनता के लिए बेअसर साबित हो रहा है।
जांच आदेशों की अनदेखी: जिम्मेदारों की निष्क्रियता
वित्तीय वर्ष 2022-23 में 15वें वित्त से प्राप्त आवंटन पर लोकहित में जांच के आदेश जिला पंचायत सीईओ द्वारा दिए गए थे। इन आदेशों के तहत ग्राम सभाओं की कार्यवाही पंजी, उपस्थिति पंजी, व्यय प्रमाणक और भौतिक सत्यापन जैसे 8 बिंदुओं पर जांच की जानी थी।
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जनपद पंचायत पाली और कोरबा को कुल 38 ग्राम पंचायतों की जांच करनी थी, लेकिन आज तक यह कार्य पूरा नहीं हुआ। पाली जनपद ने जांच का जिम्मा करारोपण अधिकारियों को सौंपकर इतिश्री कर ली, जबकि कोरबा जनपद ने जांच आदेश तक नहीं निकाला।
सूचना के अधिकार का मजाक
RTI के तहत मांगी गई जानकारी देने में भी पंचायतें हीला-हवाली कर रही हैं। पाली जनपद की 42 ग्राम पंचायतों और करतला जनपद की 32 पंचायतों ने या तो अपीलीय अधिकारी के आदेशों की अवहेलना की या भ्रामक जानकारी देकर मामले को गुमराह किया।
पंचायतों पर आरोप हैं कि उन्होंने फर्जी प्रस्ताव और उपस्थिति पंजी के जरिए लाखों रुपए की हेराफेरी की। संबंधित अधिकारियों और सचिवों ने कागजी कार्रवाई छुपाकर अनियमितताओं का सिलसिला जारी रखा है।
चुनावी आचार संहिता बनेगी बहाना?
निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की आचार संहिता जल्द लागू होने वाली है, जिससे जांच प्रक्रिया ठंडे बस्ते में जाने की संभावना बढ़ गई है। इससे न केवल भ्रष्टाचार की शिकायतें दब जाएंगी, बल्कि जनता का विश्वास भी प्रशासन से उठने लगेगा।
प्रशासन की छवि पर सवाल
जिस तरह से जांच के आदेश जारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही, उससे जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, जिला स्तर के अधिकारी जांच प्रक्रिया को पारदर्शी दिखाने का दावा तो करते हैं, लेकिन कार्रवाई में उनकी निष्क्रियता भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।