Devendra Fadanvish की तीसरी पारी: महाराष्ट्र के 21वें मुख्यमंत्री बनने की कहानी
फडणवीस की पसंद: RSS और पीएम मोदी की पहली पसंद
देवेंद्र फडणवीस की तीसरी पारी: महाराष्ट्र के 21वें मुख्यमंत्री बनने की कहानी
देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के 21वें मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। 4 दिसंबर को उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया, जिससे उनकी तीसरी पारी बतौर मुख्यमंत्री तय हो गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सूत्रों ने पहले ही संकेत दे दिया था कि फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे।
दरअसल, इस निर्णय की स्क्रिप्ट चार महीने पहले, अगस्त 2023 में ही लिख दी गई थी। RSS और भाजपा ने पहले ही यह तय कर लिया था कि महायुति (भाजपा-शिवसेना गठबंधन) की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री भाजपा का होगा। अगर सरकार नहीं बन पाती, तो फडणवीस को राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाती।
फडणवीस की पसंद: RSS और पीएम मोदी की पहली पसंद
RSS के सूत्र बताते हैं कि देवेंद्र फडणवीस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की पहली पसंद रहे हैं। 2022 में जब एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब फडणवीस ने प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर डिप्टी मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लिया था। मोदी ने तब वादा किया था कि अगली बार सत्ता में आने पर फडणवीस को उनकी मेहनत का उचित सम्मान मिलेगा।
फडणवीस का यह बलिदान उन्हें मोदी और भागवत दोनों के करीब ले गया। 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत ने इस वादे को पूरा कर दिया। महायुति को बहुमत मिलने के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने फडणवीस को फोन कर उन्हें मुख्यमंत्री बनने की बधाई दी थी।
एकनाथ शिंदे की नाराजगी की खबरें क्यों?
यह सवाल भी उठता है कि जब सब तय था, तो महाराष्ट्र में सरकार बनने में इतनी देरी क्यों हुई? और शिंदे की नाराजगी की खबरें क्यों सामने आईं?
दरअसल, एकनाथ शिंदे के गांव जाने और इंटरव्यू में खुद को जनता का मुख्यमंत्री बताने जैसे बयान इस रणनीति का हिस्सा थे। सीनियर पत्रकार विनोद राउत का मानना है कि 2019 के अनुभव से भाजपा ने सीखा कि अपने गठबंधन सहयोगियों को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इस बार भाजपा ने शिंदे को पूरा सम्मान और समय दिया, ताकि विपक्ष को यह कहने का मौका न मिले कि भाजपा अपने सहयोगियों को दरकिनार करती है।
BJP ने शिंदे को मनाने में लगाया समय
भाजपा के नेताओं ने शिंदे से कई बार मुलाकात की। गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिंदे से बात की। 28 नवंबर को दिल्ली में शिंदे ने अमित शाह के सामने 6 महीने के लिए खुद को मुख्यमंत्री बनाए रखने का प्रस्ताव रखा था, जिसे शाह ने खारिज कर दिया। इसके बाद शिंदे ने भाजपा की बात मान ली।
RSS और भाजपा के लिए फडणवीस क्यों महत्वपूर्ण हैं?
- RSS का समर्थन:
नागपुर से आने वाले फडणवीस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत RSS से की थी। वे संघ के अनुशासन और विचारधारा का पालन करते हैं। संघ के कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी उन्हें भाजपा और संघ के लिए एक उपयुक्त चेहरा बनाती है। - BJP के रणनीतिकार:
2014 और 2019 में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की जीत में फडणवीस की बड़ी भूमिका रही। इस बार भी महायुति की सफलता के पीछे उनकी रणनीति का अहम योगदान रहा। - विपक्ष को कमजोर किया:
सत्ता से बाहर रहते हुए फडणवीस ने ठाकरे सरकार को चैन से नहीं रहने दिया। शिवसेना और एनसीपी में बगावत कराने के पीछे भी फडणवीस का बड़ा हाथ था। - महायुति के नेताओं से अच्छे संबंध:
फडणवीस महायुति के सभी नेताओं के साथ बेहतर संबंध रखते हैं। भाजपा और RSS मानते हैं कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वे सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता रखते हैं। - सरकार चलाने का अनुभव:
फडणवीस को बतौर मुख्यमंत्री 5 साल और डिप्टी मुख्यमंत्री के तौर पर ढाई साल का प्रशासनिक अनुभव है। वे विकास, हिंदुत्व और सभी जातियों को साथ लेकर सरकार चलाने की क्षमता रखते हैं।
फडणवीस के CM बनने की वजह से बदले कई पैटर्न
2014 के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री चुनने में जब भी ज्यादा समय लिया, तब मुख्यमंत्री के रूप में सरप्राइजिंग चेहरा सामने आया। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।
महाराष्ट्र में यह भी पहली बार हुआ कि डिप्टी मुख्यमंत्री रहे किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया गया। इससे पहले 46 साल में 9 डिप्टी मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनमें से किसी को मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला।
शिंदे को मिले विकल्प:
भाजपा ने शिंदे को महायुति का संयोजक बनने और केंद्र में मंत्री पद का ऑफर दिया था। हालांकि शिंदे ने इन प्रस्तावों को ठुकरा दिया। सूत्रों के मुताबिक, शिंदे को ढाई साल बाद का वादा किया गया है, लेकिन इस पर कोई लिखित या मौखिक सहमति नहीं दी गई है।
शिवसेना के बिना भी BJP मजबूत स्थिति में
वर्तमान में भाजपा के पास 132 विधायक हैं। इसके अलावा 13 ऐसे विधायक हैं, जो शिवसेना के टिकट पर चुनकर आए थे, लेकिन भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं। 5 निर्दलीय और अजित पवार के 41 विधायकों का भी भाजपा को समर्थन है।
इस तरह भाजपा के पास कुल 191 विधायक हैं, जो बहुमत के 145 के आंकड़े से काफी ज्यादा है। इससे साफ है कि भाजपा अब शिवसेना पर उतनी निर्भर नहीं है।
संजय राउत ने कसा तंज:
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने शिंदे की नाराजगी की खबरों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शिंदे ‘दिल्ली की महाशक्ति’ के इशारे पर नखरे दिखा रहे हैं।
फडणवीस: महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य
देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा को न केवल एक बड़ा चेहरा दिया, बल्कि उसे सबसे बड़ी पार्टी भी बनाया। महायुति की जीत, विपक्ष को कमजोर करने और RSS से गहरे संबंधों के कारण वे भाजपा और संघ के लिए सबसे भरोसेमंद चेहरा बन गए हैं।
भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाकर यह साफ कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती। फडणवीस की अनुभव, रणनीति और लोकप्रियता भाजपा के लिए बड़े लाभ का सौदा साबित हो सकती है।