CG NEWS : छत्तीसगढ़ के मधेश्वर पहाड़ को मिली विश्व प्रसिद्धि
छत्तीसगढ़ के मधेश्वर पहाड़ को मिली विश्व प्रसिद्धि
‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज हुई विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक शिवलिंग
छत्तीसगढ़ की पवित्र धरा पर स्थित मधेश्वर पहाड़ ने एक बार फिर प्रदेशवासियों को गौरवान्वित किया है। हाल ही में इसे विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में स्थान मिला है। यह उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़ के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस ऐतिहासिक क्षण पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए इसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के लिए मील का पत्थर बताया।
अद्वितीय पहचान: प्राकृतिक शिवलिंग और आस्था का प्रतीक
मधेश्वर पहाड़ अपनी अनूठी प्राकृतिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित विशाल शिवलिंग प्राकृतिक रूप से पहाड़ के शिखर पर उभरा हुआ है, जो किसी भी मानव निर्मित संरचना से परे प्राकृतिक सौंदर्य और चमत्कार का अद्भुत उदाहरण है। शिवलिंग का आकार और इसकी विशालता इसे दुनिया भर में विशेष बनाती है। इस शिवलिंग के प्रति लोगों की आस्था वर्षों से अटूट रही है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। इस मान्यता और प्राकृतिक अद्भुत संरचना ने इसे पर्यटन और आस्था के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई प्रदान की है।
पर्यटन को मिली नई दिशा
मधेश्वर पहाड़ का नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होने से छत्तीसगढ़ के पर्यटन क्षेत्र को नई पहचान मिली है। यह स्थल अब न केवल धार्मिक यात्राओं के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसे और अधिक विकसित करने और पर्यटन के दृष्टिकोण से सुविधाजनक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर कहा, “मधेश्वर पहाड़ न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है। यह उपलब्धि प्रदेश के विकास और पर्यटन को एक नई दिशा देने में सहायक होगी।”
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का संगम
मधेश्वर पहाड़ केवल आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यहां का प्राकृतिक वातावरण और हरा-भरा परिदृश्य भी इसे अद्वितीय बनाता है। यह स्थान न केवल धार्मिक यात्राओं के लिए बल्कि शांति और सुकून की तलाश करने वाले पर्यटकों के लिए भी आदर्श है। पहाड़ की तलहटी में बहती छोटी-छोटी धाराएं और आसपास का हरियाली से घिरा वातावरण इसे स्वर्गीय अनुभव प्रदान करता है।
प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण
छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए मधेश्वर पहाड़ की इस उपलब्धि ने एक नई प्रेरणा दी है। यहां के लोगों का इस शिवलिंग और पहाड़ के प्रति गहरा लगाव और श्रद्धा इसे और भी विशेष बनाते हैं। इस उपलब्धि ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा, और धार्मिकता को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है।मधेश्वर पहाड़ की इस सफलता ने साबित कर दिया है कि छत्तीसगढ़ की धरा न केवल प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, बल्कि यहां की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर भी विश्वस्तरीय है। यह उपलब्धि प्रदेशवासियों को गौरवान्वित करने के साथ ही, आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक है। अब यह जिम्मेदारी सभी पर है कि इस धरोहर को संरक्षित किया जाए और इसे विश्वभर में एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया जाए।